Hanuman ji shakti hasil karne ke liye vivah kiya tha

  • 19th December 2024

हनुमान जी ने शक्ति हासिल करने के लिए किया था विवाह! जानें क्या है असली कहानी

हनुमान जी को हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। वे श्रीराम के अनन्य भक्त और रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। आमतौर पर हनुमान जी को एक बाल ब्रह्मचारी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी का विवाह भी हुआ था? आइए जानते हैं इस अद्भुत कहानी के पीछे छिपे रहस्य को।

क्या हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं?

रामायण और रामचरितमानस में हनुमान जी के ब्रह्मचारी होने का उल्लेख मिलता है। लेकिन पराशर संहिता जैसे कुछ ग्रंथों में उनकी विवाह कथा का वर्णन है। इन ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी का विवाह हुआ था और विवाह के बाद भी उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया।

हनुमान जी के विवाह की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने भगवान सूर्य से शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा जताई, तो सूर्यदेव ने उन्हें यह शर्त रखी कि वे उनकी पुत्री सुवर्चला से विवाह करेंगे।

सुवर्चला एक दिव्य शक्ति से युक्त थीं और उनकी उत्पत्ति सूर्य के तेज से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि उनका विवाह केवल एक अद्वितीय और असाधारण शक्ति वाले पुरुष से ही हो सकता था। हनुमान जी इस शर्त को स्वीकार कर सूर्यदेव के पास शिक्षा प्राप्त करने गए।

शक्ति प्राप्ति के लिए विवाह

सूर्यदेव ने हनुमान जी को कई प्रकार की शिक्षा और दिव्य शक्तियों का ज्ञान दिया। लेकिन इस ज्ञान को पूर्ण करने और दिव्य शक्तियों का स्वामी बनने के लिए विवाह आवश्यक था। इस विवाह का उद्देश्य सांसारिक जीवन में बंधना नहीं, बल्कि ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति के लिए आवश्यक था।

हनुमान जी ने सुवर्चला से विवाह तो किया, लेकिन विवाह के उपरांत उन्होंने सांसारिक जीवन से खुद को अलग रखा और ब्रह्मचर्य का पालन जारी रखा। उनका विवाह केवल एक औपचारिकता के रूप में हुआ था, ताकि वे सूर्यदेव के ज्ञान और शक्ति का अधिकार प्राप्त कर सकें।

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हनुमान जी और सुवर्चला का मंदिर

हनुमान जी और सुवर्चला देवी की प्रतिमाएं भारत के तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के येल्नाडु गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर में विराजमान हैं। यह मंदिर हैदराबाद से लगभग 220 किलोमीटर दूर है। यहां बजरंगबली अपनी पत्नी के साथ पूजनीय हैं।

मंदिर की मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को हनुमान जी और देवी सुवर्चला का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

विवाह के बाद भी ब्रह्मचारी कैसे?

यह प्रश्न स्वाभाविक है कि विवाह के बाद हनुमान जी को ब्रह्मचारी कैसे माना जा सकता है। इस संदर्भ में पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी ने सांसारिक जीवन का परित्याग कर, स्वयं को भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने अपना हर कार्य धर्म और भक्ति के लिए किया। उनका विवाह केवल दिव्य शक्तियों की प्राप्ति के लिए था और इसका उनके ब्रह्मचर्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

हनुमान जी की भक्ति का संदेश

हनुमान जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है। उन्होंने अपने प्रत्येक कार्य को श्रीराम के चरणों में अर्पित किया और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।

यह कथा पौराणिक ग्रंथों और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करना है।

हनुमान जी की यह अनसुनी कहानी न केवल रोचक है, बल्कि उनकी दिव्यता और शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। उनकी भक्ति और त्याग का यह रूप उन्हें और भी विशेष बनाता है। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि जीवन में शक्ति और ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें अपने उद्देश्य के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए।

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